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ईरान का कनाडा पर मानवाधिकार मुद्दे पर पाखंड का आरोप

ईरान का कनाडा पर मानवाधिकार मुद्दे पर पाखंड का आरोप

संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधिमंडल ने एक तीखे बयान में कनाडा पर मानवाधिकार के मुद्दे को लेकर दोहरे मापदंड अपनाने का आरोप लगाया है। ईरान ने कहा कि, वह हर साल इस्लामी गणराज्य के खिलाफ मानवाधिकार प्रस्ताव पेश करके दुनिया के सामने स्वयं को “मानवाधिकारों का चैम्पियन” दिखाने की कोशिश करता है, जबकि उसके अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड में गंभीर खामियाँ मौजूद हैं।

फ़ार्स न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, ईरानी प्रतिनिधिमंडल ने कनाडा में आदिवासी बच्चों की बिना नाम वाली कब्रों, ऐतिहासिक अन्याय और संरचनात्मक नस्लवाद का उल्लेख करते हुए कहा कि, ओटावा को इस स्थिति में नहीं माना जा सकता कि वह अन्य देशों के मानवाधिकार हालात पर फैसला सुनाए।

बयान में प्रस्ताव लाने वाले देशों को “मानवाधिकारों के क्रमिक उल्लंघनकर्ताओं का क्लब” कहा गया और कनाडा पर व्यंग्य करते हुए कहा गया कि “हमें पवित्रता का दिखावा बंद किया जाए। हज़ारों आदिवासी बच्चों की कब्रों और नस्लवाद के दाग अब भी कनाडा के दामन पर मौजूद हैं, फिर भी वह मानवाधिकारों का वैश्विक संरक्षक बनने की कोशिश कर रहा है।”

ईरान के अनुसार, यदि मानवाधिकारों का मुद्दा कुछ देशों द्वारा भू-राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल न किया जाता, तो कनाडा स्वयं मानवाधिकार की जांच और प्रस्तावों के दबाव का सामना कर रहा होता। यह बयान संयुक्त राष्ट्र महासभा की तीसरी समिति में पारित उस वार्षिक प्रस्ताव के जवाब में जारी किया गया, जिसे कनाडा ईरान के ख़िलाफ़ पेश करता है। इस वर्ष प्रस्ताव के समर्थन में दिए गए मत विरोध और अनुपस्थित मतों की तुलना में कम थे।

प्रस्ताव के ख़िलाफ़ मतदान करने वाले देशों में रूस, चीन, भारत, इंडोनेशिया, इराक, ओमान, बेलारूस, अल्जीरिया, वियतनाम, ज़िम्बाब्वे, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, आर्मेनिया, पाकिस्तान, क्यूबा, कांगो, निकारागुआ, माली, इरीट्रिया, बु्रंडी और बुर्किना फासो शामिल थे।

वहीं प्रस्ताव के पक्ष में कनाडा, अमेरिका, इज़रायल, ब्रिटेन, फ्रांस, लक्ज़मबर्ग, इटली, एस्टोनिया, जापान, यूक्रेन और मोरक्को ने मतदान किया।

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