फडणवीस को राजनीतिक आत्महत्या का शौक है तो हिंदी अनिवार्य करें: राज ठाकरे
मराठी, गैर-मराठी विवाद के बीच एक दुकानदार की पिटाई से उपजे तनाव के बाद, शुक्रवार को महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) प्रमुख राज ठाकरे ने एक जनसभा को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को खुली चुनौती दी कि “अगर उन्हें राजनीतिक आत्महत्या करने का शौक है, तो वे महाराष्ट्र में हिंदी को अनिवार्य करके दिखाएं।” साथ ही, भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की “पटख-पटख कर मारेंगे” वाली धमकी का जवाब देते हुए राज ठाकरे ने कहा कि “हम डुबो-डुबो कर मारेंगे।”
मीरा रोड के दुकानदारों को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा, “आप लोग यहाँ कमाने आए हैं, अपना काम कीजिए। मराठी सीखिए, लेकिन अगर कान से मराठी नहीं समझ में आ रही है, तो सीधे कान के नीचे मारी जाएगी।”
उन्होंने कहा,
“वो (दुकानदार की पिटाई) एक छोटा-सा मामला था जिसे मीडिया ने बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया। महाराष्ट्र या मुंबई में कोई भी छोटा मामला हो जाए तो मीडिया उसे हाईलाइट करता है, लेकिन अगर यही सब किसी और राज्य में हो, तो मीडिया चुप्पी साध लेता है।”
इस दौरान उन्होंने पुराने समाचार पत्रों की कटिंग्स पढ़कर बताया कि गुजरात में कैसे उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के साथ हिंसा की गई और उन्हें वहां से निकाल दिया गया। उन्होंने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का बयान भी दोहराया जिसमें उन्होंने कहा था कि “अगर मराठी लोग बिहार आए तो पटख-पटख कर मारे जाएंगे।” राज ठाकरे ने सवाल उठाया,
“क्या मीडिया ने इस पर कुछ कहा? नहीं, इस खबर को दबा दिया गया।”
राज ठाकरे ने चेतावनी देते हुए कहा:
“दुबे… तुम मुंबई आओ, हम तुम्हें मुंबई के समंदर में डुबो-डुबो कर मारेंगे।”
एमएनएस प्रमुख ने दावा किया कि, हिंदी ने भारत की अन्य भाषाओं को निगल लिया है. जैसे अवधी, मगधी, मारवाड़ी, भोजपुरी आदि। अब इनकी नजर मराठी पर है। उन्होंने कहा कि पालघर, वसई, विरार जैसे इलाकों को हिंदी भाषियों का चुनाव क्षेत्र बनाने की साजिश है, ताकि आगे चलकर कहा जाए कि ‘देखिए, यहाँ तो हमारा सांसद है, हमारा मेयर है, इसका मतलब यह महाराष्ट्र का हिस्सा नहीं है। राज ठाकरे ने आरोप लगाया कि यह मुंबई को धीरे-धीरे महाराष्ट्र से अलग करने की योजना है और यह साजिश आज की नहीं बल्कि दशकों पुरानी है।
उन्होंने कहा:
“मैंने एक किताब में पढ़ा कि जब मुंबई को महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग हो रही थी, तो सरदार वल्लभभाई पटेल इसके खिलाफ थे। वो वल्लभभाई पटेल जिन्हें हम एक महान नेता मानते हैं, वो चाहते थे कि मुंबई, गुजरात में जाए। उन्होंने यह भी कहा कि संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के समय मराठी आंदोलनकारियों पर जो अत्याचार किए गए, उसमें तत्कालीन गृहमंत्री मोरारजी देसाई की भूमिका भी थी – और वो भी गुजराती थे।
राज ठाकरे ने सवाल उठाया:
“आज के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस हिंदी को अनिवार्य करने के लिए क्यों लड़ रहे हैं?”
उन्होंने कहा:
“कल ही उन्होंने कहा कि हिंदी को महाराष्ट्र में अनिवार्य किया जाएगा। अगर उन्हें राजनीतिक आत्महत्या करनी है तो ज़रूर करके दिखाएं। अगर ऐसा हुआ, तो हम सिर्फ दुकानें ही नहीं, बल्कि स्कूलें भी बंद करवा देंगे।”

