दानिश सिद्दीकी फाउंडेशन ने तालिबान के भारत दौरे पर न्याय की माँग की
शनिवार को जारी एक बयान में दानिश सिद्दीकी फाउंडेशन ने भारत सरकार से अपील की कि वह अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) और संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के माध्यम से पत्रकार दानिश सिद्दीकी के लिए न्याय सुनिश्चित करे।
याद रहे, मार्च 2022 में दानिश सिद्दीकी के माता-पिता ने ICC में एक औपचारिक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें तालिबान के वरिष्ठ नेताओं — मुल्ला हसन अखुंद, अब्दुल ग़नी बरादर और ज़बीहुल्लाह मुजाहिद — पर युद्ध अपराध और मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया गया था। फाउंडेशन ने कहा कि, “तालिबान का यह दौरा अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत अपनी जिम्मेदारियों की याद दिलाने और दानिश सिद्दीकी की हत्या की स्वतंत्र जांच में सहयोग का एक अवसर है।”
दानिश सिद्दीकी की हत्या
रॉयटर्स से जुड़े फोटो जर्नलिस्ट दानिश सिद्दीकी जुलाई 2021 में कंधार में अपने असाइनमेंट के दौरान मारे गए थे। वे पाकिस्तान सीमा के पास स्पिन बोलदक में अफगान स्पेशल फोर्सेस के साथ मौजूद थे, जहां अफ़ग़ान फोर्सेस और तालिबान के बीच भीषण मुठभेड़ चल रही थी।
अंतरराष्ट्रीय प्रेस संगठनों, जैसे कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स (CPJ) और रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (RSF) की स्वतंत्र रिपोर्टों और फोरेंसिक जांचों में पाया गया कि सिद्दीकी के शरीर पर यातना और विकृति के निशान थे। हालांकि, तालिबान ने इन आरोपों को सख्ती से खारिज किया है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
दानिश सिद्दीकी की हत्या ने दुनिया भर में गुस्सा और निंदा को जन्म दिया।
मीडिया और मानवाधिकार संगठनों ने जवाबदेही और स्वतंत्र जांच की मांग की।
फाउंडेशन ने कहा कि यह घटना सिर्फ एक पत्रकार की जान लेने तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसने पत्रकारिता की आज़ादी पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित पत्रकार
दानिश सिद्दीकी उन कुछ भारतीय फोटो जर्नलिस्ट्स में शामिल थे जिन्हें वैश्विक पहचान मिली। उन्होंने 2018 में रोहिंग्या शरणार्थी संकट की कवरेज के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार जीता था और 2022 में कोविड-19 महामारी की रिपोर्टिंग के लिए मरणोपरांत पुलित्ज़र से सम्मानित किए गए। उनकी बहादुरी, पत्रकारीय दूरदृष्टि और मानवीय कहानियों को उजागर करने का जुनून ने उन्हें विश्व पत्रकारिता के इतिहास में एक विशिष्ट स्थान दिलाया।

