Site icon ISCPress

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भीमराव आंबेडकर पर साधु-संतों को टिप्पणी न करने की सलाह दी

बसपा सुप्रीमो मायावती ने भीमराव आंबेडकर पर साधु-संतों को टिप्पणी न करने की सलाह दी

बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने शनिवार को साधु-संतों को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ साधु-संत अक्सर विवादित बयान देकर सुर्खियों में बने रहते हैं और अब वे डॉ. भीमराव आंबेडकर पर भी अनुचित टिप्पणियाँ कर रहे हैं। मायावती ने ऐसे साधु-संतों को सख्त सलाह दी है कि वे बाबा साहब आंबेडकर जैसे महान विद्वान और संविधान निर्माता पर कोई टिप्पणी न करें, क्योंकि उनके योगदान और विचारों की गहराई को समझना उनके बस की बात नहीं है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में लिखा, “जैसा कि विदित है कि, आए दिन विवादित बयानबाजी करने वाले कुछ साधु-संतों को बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के भारतीय संविधान निर्माण में उनके अतुल्य योगदान की सही जानकारी नहीं है। इसलिए गलत बयान देने के बजाय उन्हें चुप रहना ही उचित होगा।”

उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहब के अनुयायी मनुस्मृति का विरोध क्यों करते हैं, यह भी साधु-संतों को समझना चाहिए। समाज में व्याप्त जातिवादी द्वेष की भावना को त्यागना जरूरी है, क्योंकि इसी के खिलाफ आंबेडकर ने आजीवन संघर्ष किया था। मायावती ने जोर देकर कहा कि बाबा साहब की विद्वता इतनी व्यापक थी कि उनके मुकाबले साधु-संत कुछ भी नहीं हैं, इसलिए इस विषय पर किसी प्रकार की टिप्पणी करने से बचना ही उचित होगा।

बसपा प्रमुख ने यह भी आरोप लगाया कि देश में धर्मस्थलों और महापुरुषों का अनादर कर सामाजिक और साम्प्रदायिक माहौल खराब करने की कोशिशें लगातार हो रही हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि यह एक गहरा राजनीतिक षड्यंत्र है, जिसका मकसद समाज को बांटना और राजनीतिक लाभ हासिल करना है। उन्होंने कहा, “सभी सरकारों को संकीर्ण, जातिवादी और साम्प्रदायिक राजनीति छोड़कर ऐसे आपराधिक तत्वों के खिलाफ सख्त कानूनी रवैया अपनाना चाहिए। कानून का राज स्थापित हो, ताकि आम लोग शांति से अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें और शिक्षा-रोज़गार की व्यवस्था कर पाएं।”

इसी दौरान पार्टी मुख्यालय में आयोजित एक अहम बैठक में मायावती ने प्रदेश भर में संगठन को मज़बूत करने के लिए ज़िले से लेकर बूथ स्तर तक समितियों के गठन की समीक्षा की। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे जनता के बीच जाकर बाबा साहब आंबेडकर के विचारों और बसपा की नीतियों को साझा करें और किसी भी तरह के सामाजिक-राजनीतिक तनाव का डटकर मुकाबला करें।

Exit mobile version