ब्रिटिश सांसद का आरोप: इज़रायल ग़ाज़ा के लोगों को जानबूझकर भूखा रख रहा है
ब्रिटेन की सांसद ज़ारा सुल्ताना ने चेतावनी दी है कि, ग़ाज़ा के लगभग 20 लाख लोग इज़रायल की बनाई गई “कृत्रिम भुखमरी” के कारण मौत के कगार पर हैं, जिसे उन्होंने एक “युद्ध अपराध” बताया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” पर पोस्ट करते हुए कहा कि, ग़ाज़ा में मानवीय संकट हर दिन बढ़ता जा रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब भी चुप है।
ज़ारा सुल्ताना ने लिखा, “ग़ाज़ा के 20 लाख लोगों को, जिनमें एक लाख से ज़्यादा बच्चे शामिल हैं, जानबूझकर भूखा रखना युद्ध अपराध है। सैकड़ों लोग इस कृत्रिम भुखमरी से मर चुके हैं और अगर तुरंत मानवीय सहायता नहीं पहुँची, तो अनगिनत और लोग मरेंगे।” उन्होंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर से मांग की कि, वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए इज़रायल पर दबाव डालें ताकि वह “ग़ैरक़ानूनी नाकाबंदी” तुरंत समाप्त करे।
सुल्ताना ने कहा कि, अब वक्त आ गया है कि ब्रिटेन इंसानियत के लिए बोले, न कि युद्ध अपराधियों के साथ खड़ा रहे। उनके अनुसार, ग़ाज़ा की मौजूदा स्थिति किसी प्राकृतिक आपदा की नहीं बल्कि एक “जानबूझकर रची गई मानवीय तबाही” की है। इसी बीच, तेल अवीव और काहिरा से आई रिपोर्टों के अनुसार, इज़रायल ने बुधवार को मिस्र और ग़ाज़ा के बीच स्थित रफ़ा बॉर्डर क्रॉसिंग को न खोलने का निर्णय लिया है। इस क़दम से ग़ाज़ा में फंसे लाखों लोगों की तकलीफ़ और बढ़ गई है।
यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स मॉनिटर ने चेतावनी दी है कि, ग़ाज़ा में भुखमरी और अकाल का ख़तरा अब भी टला नहीं है। संस्था के अनुसार, इज़रायल की नीति — राहत सामग्रियों की जानबूझकर कटौती — इस बात का प्रमाण है कि वह भुखमरी को “सामूहिक सज़ा और नरसंहार के हथियार” के रूप में इस्तेमाल कर रहा है।
संगठन ने कहा कि इज़रायल जिन सीमित सहायता सामग्रियों को ग़ाज़ा में जाने की अनुमति देता है, वे ज़रूरतों का बहुत छोटा हिस्सा हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि रफ़ा बॉर्डर के बंद रहने और पानी, भोजन व दवाइयों की कमी से ग़ाज़ा का मानवीय संकट अब भयावह स्तर पर पहुँच चुका है।

